फरीदाबाद. हरियाणा के फरीदाबाद के ताऊ देवी लाल वृद्धाश्रम में रहने आए 107 वर्षीय संत राम जैसवाल कभी आजादी की लड़ाई के सिपाही रहे हैं. भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, उधम सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. सेना से रिटायर होने के बाद एक लंबा जीवन उन्होंने सामान्य नागरिक की तरह बिताया, लेकिन अब उनका कोई अपना नहीं बचा. जवान बेटे और पत्नी की मौत के बाद अब वह इस दुनिया में अकेले रह गए हैं.
Local18 से बातचीत में संत राम जैसवाल ने कहा मेरा जन्म 8 दिसंबर 1917 को अमृतसर में हुआ. आजादी से पहले वहीं था. उसके बाद सेना में भर्ती हुआ. पाकिस्तान से दो बार युद्ध किया. भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु जैसे साथी हमारे साथ थे. हम सबने देश की आज़ादी के लिए एक साथ लड़ाई लड़ी. आज़ादी में हम लोगों का भी अहम रोल था.उन्होंने बताया कि 1980 में वह आर्मी से रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद फरीदाबाद में कपड़े की एक मिल में काम करने लगे. 1980 के बाद मैंने कपड़े के मिल में काम किया, ताकि जीवन चलता रहे. वह बताते हैं कि मेरा एक बेटा था और उसकी एक्सीडेंट में मौत हो गई. पत्नी भी अब इस दुनिया में नहीं रही. अब मेरा कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि आज से वृद्धाश्रम ही मेरा घर है
वृद्धाश्रम के संचालक कृष्ण लाल बजाज ने बताया कि संत राम जैसवाल आज से करीब 10-12 साल पहले भी इसी वृद्धाश्रम में रह चुके हैं. उस वक्त उनकी पत्नी की मौत हो गई थी तब उन्हें अंतिम संस्कार के लिए घर भेजा गया था. बाबा बिना बताए चले गए थे. हमने बोला था कि क्रियाकर्म करके वापस आ जाना. फिर कुछ समय बाद उनके जवान बेटे की भी मृत्यु हो गई. अब वे पूरी तरह अकेले हैं. कृष्ण लाल बजाज ने बताया कि बाबा पहले सेना में थे और सुभाष चंद्र बोस की टीम में काम कर चुके हैं.
उन्होंने खुद ही सेना की पेंशन बंद करवा दी थी. आज वो फिर हमारे पास लौटे हैं. हमने उनसे कहा है कि अब कहीं जाने की जरूरत नहीं है आप यहीं हमारे साथ वृद्धाश्रम में रहिए. यही आपका घर है. 107 साल के इस वीर सपूत की कहानी सुनकर कोई भी भावुक हो जाए. जिन हाथों ने देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष किया वही हाथ आज अकेले जीवन जीने को मजबूर हैं. Local18 ऐसे हर बुजुर्ग को सलाम करता है जिन्होंने अपने जीवन की सबसे कीमती उम्र देश को समर्पित कर दी…