चीन में गायब हुए शी जिनपिंग, 16 दिन तक किसने चलाया देश, ड्रैगन के घर में होगा तख्तापलट…?

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बीजिंग: चीन में इस समय उथल-पुथल जारी है. ड्रैगन पूरी कोशिश में लगा है कि दुनिया को वह ऐसा दिखाए कि सबकुछ ठीक चल रहा है, लेकिन जो खबरें आ रही हैं वह दिखाती हैं कि शायद चीन में सबकुछ ठीक नहीं. 21 मई से 5 जून 2025 तक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अचानक सार्वजनिक रूप से पूरी तरह गायब हो गए. 16 दिनों तक शी जिनपिंग का न कोई दौरा रहा न कोई बयान जारी हुआ. चीन के सरकारी अखबार से उनकी तस्वीर गायब रही. 2017 के बाद शायद ही ऐसा कभी हुई हो. दो हफ्ते की चुप्पी के बीच चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में बड़े पैमाने पर फेरबदल देखा गया. साथ ही देश की अर्थव्यवस्था के अहम सेक्टरों में जारी चुनौतियों ने जिनपिंग की सत्ता के ढांचे को एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है.

शी जिनपिंग के गायब रहने के दौरान उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग और उप-प्रधानमंत्री हे लीफेंग ने विदेश मेहमानों से मुलाकात की. यही नहीं, देश के सबसे प्रभावशाली अखबार पीपल्स डेली और सरकारी एजेंसी शिन्हुआ तक ने 2 से 5 जून के बीच जिनपिंग की एक भी तस्वीर नहीं छापी. ये महज संयोग नहीं कहा जा सकता. विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी के भीतर शक्ति-संतुलन को फिर से साधा जा रहा है. शायद असंतोष को काबू में करने या फिर आंतरिक गुटबाजी से निपटने के लिए.

2023 से अब तक PLA की टॉप कमान में कई चौंकाने वाले बदलाव हो चुके हैं. जनरल हे वेइडोंग (सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के उपाध्यक्ष), जनरल मियाओ हुआ (चीफ ऑफ पॉलिटिकल वर्क) और जनरल लिन शियांगयांग (ईस्टर्न थिएटर कमांड के प्रमुख) जैसे बड़े नामों को हटा दिया गया. रॉकेट फोर्स और वेस्टर्न थिएटर कमांड जैसी बेहद अहम सैन्य इकाइयों में भी कमान बदली गई है. इस बदलाव की लहर ने चीन की आंतरिक सुरक्षा की तस्वीर पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं.

6 जून को जब चीन की स्टेट काउंसिल के 50 से ज्यादा मंत्रियों और टॉप अफसरों ने वफादारी की शपथ ली, तब भी जिनपिंग वहां मौजूद नहीं थे. लेकिन मंच से ‘शी जिनपिंग विचारधारा’ के उद्धरण पढ़े गए. इसने ये संदेश देने की कोशिश की कि भले ही जिनपिंग शारीरिक रूप से वहां नहीं हैं, लेकिन उनकी सोच अभी भी केंद्र में है.

कुछ विश्लेषक इसे जिनपिंग की सोची-समझी रणनीति मानते हैं. उनका मानना है कि कुछ दिनों तक छुट्टी लेकर वह सत्ता ढांचे को नया रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं कुछ का कहना है कि ये उनके खिलाफ उठते विरोध का इशारा भी हो सकता है खासतौर पर उस वक्त, जब देश की अर्थव्यवस्था फिसल रही हो और सत्ता का केंद्रीकरण सवालों के घेरे में हो. अभी तक चीन सरकार की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है. लेकिन ये खामोशी, सैन्य सर्जरी और प्रतीकात्मक अनुपस्थिति एक साथ बहुत कुछ कह रही हैं…