भारत में कब और कैसे घुसे थे पहलगाम के आतंकी, असल मास्टरमाइंड कौन? पाकिस्तान की सारी चाल बेनकाब…

3

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में हिन्दू पर्यटकों के नरसंहार की जांच में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है. इस हमले में शामिल आतंकियों को भारतीय सेना ने आखिकार मार गिराया है. ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत मारे गए इन आतंकियों की पहचान और उनके नेटवर्क की परतें अब पूरी तरह खुल चुकी हैं. इस हमले की साजिश पूरी तरह से पाकिस्तान में रची गई थी और इसमें सीधे-सीधे लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों की संलिप्तता सामने आई है.

जांच में सामने आया है कि पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकी सुलैमान शाह उर्फ फैजल जट्ट, अबु हमजा उर्फ अफगान, और यासिर उर्फ जिब्रान पाकिस्तान के रहने वाले और लश्कर-ए-तैयबा के A++ और A कैटगरी के कमांडर थे. ये आतंकी न तो स्थानीय कश्मीरी थे और न ही हाल के समय में भर्ती किए गए आतंकियों में शामिल थे.
भारतीय खुफिया एजेंसियोंके मुताबिक, ये तीनों आतंकी मई 2022 में गुरेज सेक्टर से एलओसी पार कर घाटी में दाखिल हुए थे. उनके रेडियो सिग्नल को उसी समय से इंटरसेप्ट किया जा रहा था. हालांकि तभी ये आतंकी पहलगाम के पास एक झोंपड़ी में छिप गए थे. यहां स्थानीय मददगार परवेज और बशीर अहमद जठार ने उन्हें शरण दी.

 

ऑपरेशन महादेव के तहत 28 जुलाई को जब तीनों आतंकी मार गिराए गए, तब उनके पास से कई अहम सबूत बरामद हुए. इनमें से दो आतंकियों के पास पाकिस्तानी वोटर ID कार्ड मिले, जो लाहौर और गुजरांवाला से जारी किया गया था.
इसके अलावा एक सेटेलाइट फोन से माइक्रो-एसडी कार्ड मिला, जिसमें NADRA का बॉयोमेट्रिक डेटा था. इस डेटा से इन आतंकियों की नागरिकता, कसूर जिले और पीओके में उनके स्थायी पते की पुष्टि हुई. 

आतंकियों के पास से पाकिस्तान में बने चॉकलेट और दूसरे खाने-पीने के सामान भी मिले हैं, जिन पर 2024 में मुजफ्फराबाद भेजे गए शिपमेंट के लॉट नंबर दर्ज थे.
इस बीच एक और महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है कि लश्कर के लाहौर स्थित ऑपरेशनल चीफ साजिद सैफुल्लाह जट्ट इस पूरे हमले का मास्टरमाइंड है. वहीं रावलकोट निवासी रिज़वान अनीस ने कश्मीर में मारे गए आतंकियों की गायबाना नमाज-ए-जनाज़ा आयोजित की, जिससे यह साफ होता है कि हमले के बाद भी पाकिस्तान में आतंकियों को नायक की तरह महिमामंडित किया गया. 

फॉरेंसिक जांच में भी यह पुष्टि हुई कि हमले के स्थान से मिली गोलियों के खोखे उन्हीं तीन AK-103 रायफलों से मेल खाते हैं, जो 28 जुलाई को दाचिगाम-हरवान जंगल में मारे गए आतंकियों से बरामद की गई थीं.
गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में बताया, ‘हमारे पास अब पहली बार पाकिस्तान की तरफ से जारी किए गए सरकारी दस्तावेज़ हैं, जो इस बात को बिना किसी संदेह के साबित करते हैं कि पहलगाम हमले के आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे.’ 

यह डोज़ियर अब तक का सबसे ठोस और निर्णायक दस्तावेज़ माना जा रहा है, जिसने पाकिस्तान की आतंकवाद को संरक्षण देने वाली भूमिका को एक बार फिर दुनिया के सामने उजागर कर दिया है…