रवि किशन जब हुए घमंडी, परेशान पत्नी ने उठाया था ये कदम, पिता-भाइयों की मौत के बाद चला गया तेवर…

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नई दिल्ली. भोजपुरी सुपरस्टार और सांसद रवि किशन को 1990 के दशक में भोजपुरी फिल्मों में आने के बाद ही स्टारडम और सफलता मिली. करियर के शुरुआत से लेकर 2000 के शुरुआती वर्षों तक, उनकी हर फिल्म सिल्वर जुबली हिट हुआ करती थी, जिसका मतलब था कि वे कम से कम 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चलती थीं.
एक के बाद एक फिल्म के हिट होने के बाद वो फलों से लदे पेड़ झुके नहीं, बल्कि घमंडी हो गए. उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में इसे लेकर बात की और बताया कि कैसे सफलता को देख कैसे वो पागल हो गए थे. उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी सफलता के कारण वह बदतमीजी भरा व्यवहार करने लगे थे, इसलिए उनकी पत्नी ने उन्हें बिग बॉस में साइन अप कराया.
रवि किशन अपनी एक्टिंग के साथ अपनी बातों को लेकर भी सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष, सफलता के नशे और फिर विनम्र होने कीकहानीसाझा की.  उन्होंने बताया कि कैसे 1990-2000 के दशक में भोजपुरी फिल्मों की सफलता ने उन्हें थोड़ा घमंडी बना दिया था, लेकिन जीवन के कठोर सबक ने उन्हें फिर से जमीन पर ला दिया.
राज शमानी के साथ बातचीत में, रवि ने साझा किया, मैं थोड़ा पागल हो गया था. मेरी सभी फिल्में सिल्वर जुबली थीं. अब फिल्में कुछ हफ्तों के लिए सिनेमाघरों में रहती हैं, लेकिन तब मेरी सभी फिल्में 25 हफ्तों तक थिएटर में रहती थीं. तो कोई भी थोड़ा पागल हो सकता है. उन्होंने कहा, हमको लगता था काट ले किसी को. रवि ने साझा किया कि उन्होंने यह सब बहुत संघर्ष के बाद हासिल किया था, लेकिन उनकी पत्नी ने महसूस किया कि वह हद से बाहर जा रहे थे और उस समय, मेरी पत्नी ने मुझे 3 महीने के लिए बिग बॉस में भेज दिया और मुझे बंद कर दिया.
जब उनसे पूछा गया कि किस चीज ने उन्हें विनम्र बनाया तो उन्होंने कहा, मुझे जीवन में बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ामेरे पिता चले गए. मेरे दो बड़े भाई कम उम्र में ही दुनिया छोड़ गए. उसके बाद मेरा सारा अहंकार खत्म हो गया. जैसे ही पापा चले गए, मेरा तेवर भी चला गयावह मेरी शान थे और उनके जाने के साथ ही मेरी शान भी चली गई.
उसी बातचीत में, रवि से उनकी सबसे बड़ी कमजोरी के बारे में पूछा गया. उन्होंने पत्नी प्रीति के प्रति गहरे प्यार का इजहार करते हुए कहा, मुझे अपनी पत्नी से बेहद प्यार है. मैं बस भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि वह कभी बीमार न पड़े. मैं नहीं चाहता कि वह बूढ़ी हो, लेकिन मैं जानता हूं कि ऐसा होगा. एक दिन वह चली जाएगी… या तो वह पहले जाएगी या मैंयह सच्चाई है उन्होंने बताया कि जब भी वह किसी मुसीबत या विवाद में होते हैं, तो सबसे पहले अपनी पत्नी को फोन करते हैं.
अपने परिवार को अपनी ताकत बताते हुए, रवि ने साझा किया कि मेरे चार बच्चे, पत्नी और मैं यही मेरी दुनिया है. मैं उनकी बात सुनकर ही फैसले लेता हूं. विवाद तो आते-जाते रहेंगे, लेकिन परिवार का साथ ही असली सहारा है…