नई दिल्ली. भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए स्टारलिंक (Starlink) और अमेजन कुईपर (Amazon Kuiper) ने देश में पहली बार वाणिज्यिक समझौते किए हैं. दोनों ही कंपनियों ने भारत में वैरी स्मॉल अपर्चर टर्मिलन यानी VSAT सेवा देने वाले प्रोवाइडर्स के साथ साझेदारी की है. खास बात यह है कि यह समझौते स्पेक्ट्रम के आधिकारिक आवंटन से पहले ही किए गए हैं. मनीकंट्रोल की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक और अमेजन भारत में बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-गवर्नमेंट क्षेत्रों में अपनी सेवाओं सेवाएं देने की तैयारी कर रही हैं. साथ ही, वे रिटेल कंज्यूमर मार्केट में भी प्रवेश की योजना बना रहे हैं, जहां फिलहाल प्राइसिंग पर काम चल रहा है.
दोनों कंपनियों ने भारत में ह्यूजेस कम्युनिकेशंस, नेल्को और इनमारसैट जैसी VSAT कंपनियों के साथ समझौते किए हैं. स्टारलिंक पहले ही रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ साझेदारी की घोषणा कर चुका है. यह “सेल-थ्रू मॉडल” है, जिसमें कंपनियां अपनी सेवाएं स्थानीय साझेदारों के माध्यम से बेचती हैं. वहीं अमेजन कुईपर भी भारत में इसी तरह की हाइब्रिड रणनीति अपनाने जा रहा है.
VSAT सेवाएं खासतौर पर बैंकों, एटीएम, पेट्रोल पंप, वेयरहाउस, रिटेल चेन, सेलुलर नेटवर्क बैकहॉल, समुद्री और रक्षा क्षेत्र में कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं. अब लो अर्थ ऑर्बिट आधारित ब्रॉडबैंड से इनमें तेज गति और उच्च बैंडविड्थ की सुविधाएं मिलेंगी. ह्यूजेस कम्युनिकेशंस (Hughes Communications India) के सीईओ शिवाजी चटर्जी ने मनीकंट्रोल से कहा, “हम भारत में सभी LEO आधारित सैटेलाइट कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं. हम B2B और B2G सेगमेंट में उनके प्रमुख साझेदार बनेंगे.
Starlink को भारत में GMPCS लाइसेंस प्राप्त हो चुका है. हालांकि, उसे अभी IN-SPACe से अनुमति मिलना बाकी है. सरकार ने स्टारलिंक को ड्राफ्ट समझौता भेज दिया है और मंजूरी जल्द मिलने की उम्मीद है. वहीं अमेजन कुईपर की फाइलें भी मंत्रालय में विचाराधीन हैं. संचार मंत्रालय ने स्टारलिंक को ट्रायल स्पेक्ट्रम देने की भी तैयारी कर रहा है ताकि कंपनी सुरक्षा परीक्षण पूरे कर सके. कुछ दिन पहले ही दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी.
सूत्रों के अनुसार, स्टारलिंक जल्द ही भारत में उपभोक्ताओं को सीधे अपनी वेबसाइट के माध्यम से सेवाएं देना शुरू करेगा. अमेजन कुईपर भी इसी काम में लगा हुआ है और वह एक ही मास्टर डिस्ट्रीब्यूटर पर निर्भर नहीं रहेगा. भारत विविधताओं से भरा उभरता हुआ बाजार है, इसलिए यह मॉडल ज्यादा प्रभावी माना जा रहा है. उधर, TRAI की सिफारिशों के आधार पर सरकार जल्द ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के नियम और शुल्क भी अंतिम रूप देने जा रही है…