अखिलेश यादव के PDA फॉर्मूले का बीजेपी ने ढूंढ़ लिया जवाब? OBC जातियों को लेकर बनाया ये खास प्लान, अब क्या करेगी सपा…?

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लखनऊ. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बीजेपी अपने सभी कमियों को दुरुस्त करने में जुटी है. लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आए उसे समाजवादी पार्टी अपने पड़ा फॉर्मूले की जीत बता रही है, जिसकी काट अब बीजेपी ने खोज निकाली है. भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनावों से पहले जातीय समीकरणों को मजबूत करने में जुट गई है. इस कड़ी में चौहान समाज के लिए आयोजित ‘संकल्प दिवस’ कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. यह आयोजन शुक्रवार दोपहर 11:00 बजे से लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुआ. जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधर और उत्तर प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम ने शिरकत किया. मंत्री दारा सिंह चौहान के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से चौहान समाज के लोग शामिल हुए और 2027 में बीजेपी को जिताने का संकल्प लिया.

उत्तर प्रदेश में जातीय गोलबंदी हमेशा से चुनावी राजनीति का आधार रही है. बीजेपी ने पिछले दशकों में गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और गैर-जाटव अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों को अपने पक्ष में करने में सफलता हासिल की है. चौहान समाज, जो ओबीसी वर्ग के तहत आता है और नोनिया समुदाय से संबंधित है, बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बनकर उभरा है. दारा सिंह चौहान, जो ओबीसी मोर्चा के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं, इस समुदाय के बीच पार्टी का चेहरा हैं. उनका जन्मदिन मनाने और संकल्प दिवस का आयोजन इस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें बीजेपी अपने समर्थन आधार को और मजबूत करना चाहती है.
दारा सिंह चौहान का राजनीतिक सफर बीजेपी और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच झूलता रहा है, जो उनकी सामुदायिक अपील को दर्शाता है. 2017 में बीजेपी के साथ रहते हुए वे मंत्री बने, लेकिन 2022 में सपा में शामिल हो गए. बाद में 2023 में फिर बीजेपी में वापसी और हाल ही में विधान परिषद सदस्य बनाए जाने से उनकी भूमिका और मजबूत हुई है. उनका यह सफर बीजेपी की उस रणनीति को रेखांकित करता है, जिसमें ओबीसी नेताओं को पार्टी में शामिल कर उनके समुदाय का समर्थन हासिल किया जाता है. 

‘संकल्प दिवस’ का आयोजन न केवल चौहान समाज की एकजुटता दिखाता है, बल्कि बीजेपी के लिए 2027 की तैयारियों का संकेत भी है. इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से आने वाले समुदाय के लोग बीजेपी को विजयी बनाने का संकल्प लेंगे, जो पार्टी की जातीय आधारित गठजोड़ को और मजबूत कर सकता है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम की मौजूदगी इस आयोजन को औपचारिक और राजनीतिक महत्व देती है, जो संदेश देती है कि पार्टी इस वोट बैंक को प्राथमिकता दे रही है.
2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को बहुमत से कम सीटें मिलीं, जिसके बाद पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. उत्तर प्रदेश, जहां 80 लोकसभा सीटें हैं, पार्टी के लिए अहम है. 2027 विधानसभा चुनावों में जातीय समीकरणों को साधने की कोशिशें तेज हो गई हैं, खासकर ओबीसी और एससी वोटरों पर फोकस बढ़ा है. चौहान समाज जैसे समुदायों को साथ लेकर बीजेपी अपने 2017 और 2022 की सफलता को दोहराना चाहती है, जब उसने गैर-यादव ओबीसी को लक्षित किया था.

 

हालांकि, यह रणनीति चुनौतियों से घिरी है. सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी ओबीसी और दलित वोटों के लिए जोर लगा रही हैं. सपा ने पहले ही दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं को अपने पाले में लिया था, और अब उनकी वापसी से पार्टी के भीतर असंतोष की संभावना है. इसके अलावा, जातीय गोलबंदी पर निर्भरता को लेकर विपक्षी दलों ने बीजेपी पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है, जो 2027 में चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकता है…