राजीव कृष्ण यूं ही नहीं बने यूपी पुलिस के डीजीपी, प्रशांत कुमार को एक्सटेंशन क्‍यों नहीं मिला?

17

लखनऊ : 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को उत्तर प्रदेश पुलिस का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया. यह घोषाणा ऐसे वकत पर हुई है, जब कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को सर्विस एक्‍सटेंशन देने की अटकलें जोरों पर थीं. हालांकि सस्पेंस और प्रशासनिक मंथन के बाद सरकार ने राजीव कृष्‍ण को नया, लेकिन कार्यवाहक डीजीपी बनाने की घोषणा की. अपने पूर्ववर्ती की तरह कृष्णा भी 2022 के बाद से कार्यवाहक डीजीपी का पद संभालने वाले पांचवें अधिकारी हैं और प्रशांत कुमार को सेवा विस्‍तार ना देने के पीछे क्‍या वजहें रही हैं

 प्रशांत कुमार को फरवरी 2024 में कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था, जब वे सीनियरिटी लिस्‍ट में 18वें पायदान पर थे. उनके कार्यकाल के दौरान यूपी में क्राइम कंट्रोल, माफिया विरोधी अभियान और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर कार्य हुए. लेकिन उन्‍हें सर्विस एक्‍टेंशन नहीं मिला. बताते हैं कि इसके पीछे राजनीतिक मजबूरी भी है, क्‍योंकि पिछले लंबे समय से सपा मुखिया अखिलेश यादव राज्‍य की पुलिसिंग प्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं. कि यूपी पुलिस में टी सीरीज यानि ठाकुर लॉबी चलती आ रही है. यानि सरकार पर इसका दबाव भी था कि वह विपक्ष के इन आरोपों को गलत साबित कर पाए. ऐसे में कृष्‍णा की नियुक्ति को ‘जवाब’ के तौर पर भी देखा जा रहा है. हालांकि सूत्र इशारा कर रहे हैं कि प्रशांत कुमार की राजनीति में भी एंट्री हो सकती है

राजीव कृष्ण को यूपी पुलिस बल का नया मुखिया बनाए. राजीव का सर्विस रिकॉर्ड उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस के भविष्य के नेतृत्व के लिए उपयुक्त बनाता है. उन्होंने हाल ही में 60000 से ज्‍यादा पुलिसकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और कुशल तरीके से पूरा कराया, पिछले साल पेपर लीक कांड के बाद पुलिस भर्ती बोर्ड की साख को काफी नुकसान पहुंचा था. ऐसे में इस प्रकिया के सफलतापूर्ण पूरे होने से पुलिस बल के साथ ही राज्‍य सरकार की साख भी बच गई. इस उपलब्धि को ही उनकी DGP पद पर नियुक्ति के पीछे की सबसे बड़ी वजह में से एक माना जा रहा है.